इंदिरा गांधी की स्मृतियां
जे.बी.शर्मा
27 अक्तूबर 1984 को देश की भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने ग्ररैंड चिल्र्डनस् यानि राहुल और प्रियांका के साथ कश्मीर धूमने गई थी। बहुत ही जल्द बाज़ी का यह दौरा था। लेकिन जानकारी के मुताबिक वो अंतरमन में कुछ उदास और बेचैन भी थी। यह बात कश्मीर में 28 अक्तूबर की प्रात: शंकराचार्य पहाड़ी पर स्थित एक मंदिर के साधु ने श्रीमती इंदिरा गांधी के मित्र पुपुल जयकार को बताई कि इंदिरा जी यहां आई थी और इसके बाद वो नशाद बा$ग स्थित लक्ष्मनजू नाम के तपस्वी के आश्रम गई। लेकिन वो अपनी मृत्यु के बारे में बात कर थी। लेकिन पुपुल जयकार को श्रीमती इंदिरा गांंधी ने 26 अक्तूबर को पहले ही बता दिया कि वो राजीव गांधी को बता चुकी है कि उनकी राख को हिमालय की पहाडिय़ों पर बिखैर दिया जाए। कश्मीर के अल्पकालिक दौरे के बाद श्रीमती इंदिरा गांधी 29 को उडि़सा के दौरे पर निकल गई जहां उन्होंने भूवनेश्वर में चुनावी प्रचार के लिए जाना था। अब आइए देखें कि श्रीमती गांधी ने 30 अक्तूबर की रात्री अपने अंतिम भाषण में क्या कहा था। यह महज़ एक इत$फाक था कि यहां भी उन्होंने कहा कि इसी भुवनेश्वर से मेरे पिता पंडित जवाहर लाल नेहरु की मृत्यु की लंबी यात्रा जनवरी 1963 में दिला का पहला दौरा पडऩे से आरंभ हुई थी। जैसा कि हम सब जानते हैं कि नेहरु जी का निधन मई 1964 मेंं हो गया था। यहां बात हो रही है मृत्यु के पूर्वाभास की। अब देखिए कि इंदिरा जी अपनी अंतिम स्पीच में क्या कहा था?
"I am here today, I may not be here tomorrow… Nobody knows how many attempts have made to shoot me… I do not care whether I live or die. I have lived a long life and I am proud that I spent the whole of my life in the service of my people. I am only proud of this and of nothing else. I shall continue to serve until my last breath and when I die, I can say, that every drop of my blood will invigorate India and strengthen it. "
अगर हम उनकी उक्त स्पीच को बिदाई स्पीच का नाम दे दें तो कतई ग़लत न होगा।
क्योंकि इंदिरा जी इस सभा के बाद उडि़सा के तत्तकालीन गवर्नर बी.एन.पाण्डे के निवास गवर्नर हाऊस पहुंंची। कहते हैं गवर्नर साहब इंदिरा जी की हिंसक मृत्यु की कोशिशों की बात सुन एक स्तब्ध रह गए थे। याद होगा कि इंदिरा जी को एक बार चुनावी सभी के दौरान किसी ने नाक पर पत्थर भी इसी भुवनेश्वर के ग्राउंड मारा था।
अभी गवर्नर हाऊस उन्हें कुछ ही देर हुई थी कि इंदिरा जी को $खबर मिली की राहुल और प्रियंका जिस कार में कहीं जा रहे थे उसका ऐक्सिडेन्ट हो गया है। ऐसे में आनन-फानन में अपना आगे का सारा कार्यक्रम रद्द करके इंदिरा दिल्ली वापिस आ गई। लेकिन उनकी मृत्यु इतनी तेज़ी से पीछा कर रही है यह बात किसी को मालूम न थी। एक बहुत ही विलक्ष्ण प्रतिभा की मालिक, दूरदृष्टा और बुद्धिमान देश की धरोहर कही जाने वाली भारत की पहली महिला और तीसरी प्रधानमंत्री का अंत इस तरह का हिंसक होगा शायद ही किसी ने सोचा होगा। उस विलक्ष्ण- वरदानी दिवंगत आत्मा को शत शत नमन।
31 अक्तूबर 2019 के दिन देश की तीसरी परन्तु पहली महिला प्रधानमंत्री स्र्व. इंदिरा गांधी की 35 वीं पुण्य तिथि मनाई जा रही है। कुछ ही लोग होते हैं जिन्हें अपनी मृत्यु के लक्ष्ण पहले से ही दिखाई देने लगते हैं! संभवत: श्रीमती इंदिरा गांधी भी उन्हीं में से एक थीं। जिन्हें अपनी मृत्यु के लक्ष्ण कुछ रोज़ पूर्व समझ में आने लगे थे। इस बात की जानकारी हमें, INDIRA [The Life Of Indira Nehru Gandhi ( A book written by Katherine Frank)] से मिलती है।
कहना $गलत न होगा कि जो कुछ भी आज की राजनीति में चल रहा है वह आज से 50-35 वर्ष पहले नही था कहना सही न होगा। निसंदेह- भी पहले भी दलबदलू थे जो अपनी खरीदो-फरोख्त के लिए तैयार रहते थे। पहले भी दलबदलूओं ने सरकारों को गिराया है। किन्तु आज बड़ी बात बिगड़ते उस अनुपात की है जिसकी वजह से अनैतिकता और भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर आया है। वर्तमान में राजनीति, धर्मनीति, समाजनीति यहां तक कि बाज़ार और बैंक नीतियों में भी अनैतिकता का बोलबाला है। और यह संकेत अति धातक दौर के कहे जा सकते हैं। यह भी सच है कि यह हमेशा रहने वाला दौर नहीं और कोई भी दौर हमेशा नहीं रहता परन्तु बात उस संभावित तबाही की है जिसकी भरपाई आसान नहीं होगी।
चलिए हमारा आज का विषय श्रीमती इदिरा गांधी की हत्या से जुड़ा है। सर्वविदित है कि 31 अक्तूबर 1984 की प्रात: लगभग 9.10 मिनट पर श्रीमती गांधी की निर्मम हत्या बलवंत सिंह और सतवंत सिंह नाम के उनके दो अंगरक्षको द्वारा कर दी गई थी। बेश$क श्रीमती गांधी को 9.32 मिनट पर ऑल इण्डिया इनस्टिच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसिज़ में पहुंचा दिया गया था लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लेकिन फिर भी श्रीमती इदिरा गांधी को जि़न्दा रखने की डक्टरों द्वारा उस दिन 5 घंटे तक हर मुमकिन कोशिश की गई लेकिन सब निष्फल साबित हुई। और अंतत: दोपहर 2.23 मिनट पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।